मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

स्त्री, उसकी उद्यमशीलता और स्त्रीविमर्श


स्त्री और उसकी उद्यमशीलता


FICCI के 29वें वार्षिक समारोह में Unleash The Entrepreneur Within विषयक आयोजन में 8 अप्रैल को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का स्त्रीमुद्दों पर दिया यह व्याख्यान कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।

सकारात्मकता से परिपूर्ण इस व्याख्यान में इतिहास के कई स्त्रीपात्रों को रेखांकित किया, कई मार्मिक स्थलों पर स्त्री की वर्तमान स्थिति पर विचार उठाया गया व स्त्री सशक्तीकरण की दिशा में प्रभावी पहल की आवश्यकता को सहजता से रेखांकित किया।
यह पूरा व्याख्यान व प्रश्नोत्तर ध्यान से सुनने योग्य हैं। 






6 टिप्‍पणियां:

  1. नरेंद्र मोदी ने फिक्की के मंच से स्त्री सशक्तीकरण के मुद्दे पर भाषण देते हुए नारी सम्मान और महत्व को जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी जैसे कोई आठवीं कक्षा का छात्र नारी शक्ति विषयक निबंध लिखते समय करता है.

    उनके मूल प्रवचन में गरीब और आदिवासी महिलाओं का जिक्र न के बराबर ही था.

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    1. स्वर्णकान्ता जी, मैंने तो किसी राजनेता को स्त्री मुद्दों पर, इतना सजीव सहज और धाराप्रवाह (वह भी हिन्दी में और लगभग घंटाभर) बोलते सुना नहीं। 'स्त्री की उद्यमिता' (यही विषय है आयोजन का) पर अच्छे खासे उदाहारण व प्रमाण लगभग अधिकांश साधारण या अंत्यज स्त्रियों के ही हैं।

      स्त्री को वर्ग, तबके और जाति में बाँटने वाली बात भी मुझे कभी हजम नहीं हुई। वस्तुतः हम लोग, जो है उसे दरकिनार कर, जो नहीं है उसकी मीमांसा में लग जाने की आदत के शिकार हैं, साहित्य में भी यही होता है कि पाठविमर्श सिरे से लगभग गायब है आलोचना में।

      यों, राजनैतिक विरोधी का विरोध करना ही है, वाली भावना से मैंने कभी पक्ष-विपक्ष लिया भी नहीं, बुरे से बुरे व्यक्ति की अच्छी बात के पक्ष और अच्छे से अच्छे व्यक्ति की बुरी बात के विपक्ष में रहने को ही उचित मानती आई हूँ/ मानती हूँ। अतः विरोध के लिए विरोध मुझे उचित नहीं जान पड़ता। यों 'फिक्की' में तो अधिकांश प्रबुद्ध महिलाएँ ही हैं।

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  3. महिलाएँ जितना पढ़ लिख रही हैं आत्मनिर्भर हो रही हैं उस हिसाब से बाजार ने उनका महत्तव समझा और उन्हें लुभाने और उनका विशेष ध्यान रखने की कोशिश की जाने लगी।अब यही काम नेता लोग भी करने लगे हैं।अभी तक कोई महिलाओं को महत्तव नहीं देता था यहाँ तक कि महिला राजनेता भी नहीं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।उन्हें वोटबैंक मानकर ही सही नेता लोग उन्हें भी पटाने की कोशिश करने लगे हैं तो ये उनके बढ़ते महत्तव का परिचायक ।पश्चिम में ऐसा होता रहा है।अब हमारे यहाँ भी राजनेताओं को महिलाओं की सुविधाएँ और हितों का ध्यान रखना होगा।आखिर महिलाएँ यूँ ही नहीं उन्हें अपना वोट देने वाली।

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  4. नरेन्द्र मोदी की राजनीती का समर्थन नहीं करती, साम्प्रदायिकता की राजनीती के साथ मेरा विरोध है. लेकिन उनका भाषण पिछले दिनों सुने किसी भी दुसरे राजनेता से बेहतर है, खासकर देश की भाषा बोलने में उन्हें तकलीफ नहीं है, हालाँकि वो हिंदी प्रदेश के नहीं है, आम लोगों और जमीन से उनका जुड़ाव है, उसकी उनके पास सूचना है. कुछ ड्रामा भी है ..., लेकिन सच में महिलाओं के पक्ष में अगर उन्होंने कुछ नीतियाँ गुजरात में बनायी हैं, तो उसका स्वागत होना चाहिये. लेकिन गुजरात को जितने करीब से देखा है, और वहां रहने का मेरा दो साल का अनुभव यही कहता है, भारत में महिलाओं के लिए सम्मान से रहने, काम करने की, सुरक्षित जगह गुजरात है, महिलाओं की आगे बढ़ने की उस राज्य में सामाजिक जमीन है, आर्थिक आजादी की भी जमीन है, वो मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले से है ..

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