tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post4948372568488873588..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): बलात्कार : घिनौने चेहरे और तस्वीरेंUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-34581326933764333192008-06-12T17:09:00.000+01:002008-06-12T17:09:00.000+01:00सही कहा आपने.पर इस दुर्भाग्य का क्या करें कि इस पश...सही कहा आपने.<BR/>पर इस दुर्भाग्य का क्या करें कि इस पशुता का ८५% माध्यम पुरुष ही रहते आए हैं.<BR/>यह लड़ाई ऐसे प्रत्येक शोषण के विरुद्ध है जो स्त्री का किसी न किसी रूप में दोहन करता है,भले ही वह स्त्री हो अथवा पुरुष, यही बात ऊपर लेख में कह दी गई है.<BR/><BR/>आप के पधारने व टिप्पणी के लिए आभार!Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-43679709849691854212008-06-10T05:06:00.000+01:002008-06-10T05:06:00.000+01:00आपने जो लिखा है वह सही है. "सत्तात्मक पशुता के विर...आपने जो लिखा है वह सही है. "सत्तात्मक पशुता के विरुद्ध लड़ना ही चाहिए", इस से कोई इनकार नहीं कर सकता. यह सत्तात्मक पशुता स्त्रियों और पुरुषों दोनों में होती है और दोनों के विरुद्ध होती है. क्या स्त्री और पुरूष दोनों मिल कर इस के विरुद्ध नहीं लड़ सकते? स्त्रियाँ जब तक इसके लिए केवल पुरुषों पर ही दोषारोपण करती रहेंगी तब तक यह पशुता दूर नहीं होगी. लड़ाई सत्तात्मक पशुता के ख़िलाफ़ लड़ी जानी चाहिए. स्त्री और पुरूष का भेद उसे कमजोर कर देता है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.com