tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post7442869190845286160..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): जितने बंधन, उतनी मुक्ति (एकालाप : स्त्रीविमर्श)Unknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-16488867807123506872008-07-13T00:15:00.000+01:002008-07-13T00:15:00.000+01:00दिनेश राय द्विवेदी जी की विशेषज्ञ-टिप्पणी वास्तव म...दिनेश राय द्विवेदी जी की विशेषज्ञ-टिप्पणी वास्तव में ज्ञान वर्धक है..<BR/>उनकी सदाशयता के लिए स्तंभकार आभारी है.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-51284352233187904422008-06-28T03:34:00.000+01:002008-06-28T03:34:00.000+01:00आप के पिता जी की धारणाएँ पूरी तरह से सामंतवादी थीं...आप के पिता जी की धारणाएँ पूरी तरह से सामंतवादी थीं। सामंतवाद में स्त्री-पुरूष समानता संभव नहीं थी। हमारे दोनों महाकाव्य और तमाम पुराण सामंतवादी अवधारणाओं को लेकर लिखे गए हैं। उन का आज तक असर है। आप को नए जमाने के नए काव्य रचने होंगे जिन में स्त्री-पुरुष समानता का बिगुल बजाना होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com