tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post8658481421318900617..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): १५ स्कूल छात्राओं पर एसिडUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-45472195235525516462008-11-17T06:33:00.000+00:002008-11-17T06:33:00.000+00:00जहाँ भी नजर डालेंगी, यह घटनाएँ आम होती जा रही हैं,...जहाँ भी नजर डालेंगी, यह घटनाएँ आम होती जा रही हैं, किससे शिकायत करेंगीं पुलिस से जो ऐसे ऐसे सवाल करेगी कि साथ जाने वाले माँ-बाप का सर शर्म से झुक जाए. किसी न किसी तरीके से लड़की पर ही आरोप मढ़ने का प्रयास होता है. उसके बाद समाज भी ताने कसने में पीछे नहीं रहता है. कितने परिवार ऐसे होते जो अपनी बेटी की लड़ाई लड़ने में अकेले सक्षम होते हैं.<BR/> इसके समर्थन में नारी को ही बीड़ा उठाना होगा. एक से दो हों हम और फिर सब मिलते चलेंगे और कारवां बन जायेगा. नारी के समर्थन में उसकी समस्याओं के लिए सबसे अधिक जरूरत है काउंसिलिंग की. जो बाते हमारा कानून नहीं बदल सकता है उसे समाज बदल सकता है और इसके लिए कुछ प्रबुद्ध लोगों को काउंसिलिंग कमेटी बनानी होगी . मानसिकता को बदलना आसन नहीं है किन्तु यह एक ऐसा प्रयास है कि हम उन्हें समझा सकते हैं और कालांतर में इसके १००% नहीं तो ५०% सही परिणाम देखने को मिलेंगे. <BR/> मैंने यह काम अकेले ही करने कि ठानी है और कामकाजी होने के नाते समयाभाव भी होता है किन्तु जिनकी काउंसिलिंग करनी है उससे बार बार मिलती हूँ और उन्हें तैयार कराती हूँ, जो उनके लिए ठीक है. अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है लेकिन अगर हम किसी एक को भी सही दिशा में ले जाने में सफल होते हैं तो आत्मसंतोष बहुत मिलता है.<BR/><BR/> पैसे कि बात बाद में आती है , उनको एक मानसिक और भावात्मक संबल कि जरूरत होती है , जो हमें देने के लिए तैयारी करनी है. चाहे लड़कियों के हक़ का सवाल हो, टूटते हुए परिवार का सवाल हो या फिर अन्याय का सवाल हो. हम उनको तभी सही दिशा दे सकते हैं जब अपनी बात से उनको वाकिफ करा सकें.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-69735491959142777232008-11-16T08:20:00.000+00:002008-11-16T08:20:00.000+00:00अराजकता बढती जा रही है। कहीं गोली चला कर छात्र की ...अराजकता बढती जा रही है। कहीं गोली चला कर छात्र की हत्या हो रही है तो कहीं प्रोफेसर के मुंह पर थूका जा रहा है। हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-58278016645648539982008-11-15T23:40:00.000+00:002008-11-15T23:40:00.000+00:00jab se ye khabar padhee hai bahut dukh hua hai - Y...jab se ye khabar padhee hai bahut dukh hua hai - <BR/>Ye log kaise itne paap karte hain samajh nahee <BR/>aata .....<BR/>Tippani Angrezi mei ker rhee hoon - because I am away from my PCलावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com