tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post156009506459376919..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): पीड़ा और शिकायत भीUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-50263224276338109012014-05-12T15:51:30.735+01:002014-05-12T15:51:30.735+01:00लगता है,पूरी कविता लिखी नहीं -किसी रेशमी रुमाल पर ...लगता है,पूरी कविता लिखी नहीं -किसी रेशमी रुमाल पर मँा की संवेदनाएँ आप ही आप कढ़ गई । बहुत सुंदर!MridulaNarula51https://www.blogger.com/profile/05791189011067417011noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-26374399365544831872014-05-12T05:33:18.087+01:002014-05-12T05:33:18.087+01:00कविता अच्छी है पर विवरण कुछ ज़ियादा हैं । इसे कुछ स...कविता अच्छी है पर विवरण कुछ ज़ियादा हैं । इसे कुछ संपादित किया जाना चाहिये । हिंदी में चूल्हे पर बहुत अच्छी कवितायें लिखी गई हैं , यह भी उस परम्परा को आगे बढ़ाती है ।hariom rajoriahttps://www.blogger.com/profile/14450935301408402546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-19431704785749892672014-05-12T05:32:26.835+01:002014-05-12T05:32:26.835+01:00कविता अच्छी है पर विवरण कुछ ज़ियादा हैं । इसे कुछ स...कविता अच्छी है पर विवरण कुछ ज़ियादा हैं । इसे कुछ संपादित किया जाना चाहिये । हिंदी में चूल्हे पर बहुत अच्छी कवितायें लिखी गई हैं , यह भी उस परम्परा को आगे बढ़ाती है ।hariom rajoriahttps://www.blogger.com/profile/14450935301408402546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-72549313600729910922012-06-18T06:17:16.373+01:002012-06-18T06:17:16.373+01:00वाह ...बहुत ही प्यारी रचना ......एकदम स्मृतियों मे...वाह ...बहुत ही प्यारी रचना ......एकदम स्मृतियों में डूबा देने वाली. बहुत बधाईk.joglekarhttps://www.blogger.com/profile/17284967212222142828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-11264566526428148122009-03-18T12:19:00.000+00:002009-03-18T12:19:00.000+00:00good very goog. totally speechless.good very goog. totally speechless.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-8124834542142567912009-03-17T17:24:00.000+00:002009-03-17T17:24:00.000+00:00बहुत मार्मिक और जीवंत कविता जो पाठक को अतीत की ओर ...बहुत मार्मिक और जीवंत कविता जो पाठक को अतीत की ओर झांकने को मजबूर कर देती है। उपले और ज़ेवर का सुंदर संतुलन- बधाई सर जी!!!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-3723264093086566012009-03-17T14:30:00.000+00:002009-03-17T14:30:00.000+00:00सचमुच कोई प्रतिक्रिया इसे छोटा कर देगी...अद्भुत !!...सचमुच कोई प्रतिक्रिया इसे छोटा कर देगी...अद्भुत !!!!डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-31744940219673548062009-03-17T04:49:00.000+00:002009-03-17T04:49:00.000+00:00अद्भुत रचना...इस पर कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी जा ...अद्भुत रचना...इस पर कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती सिर्फ पढ़ कर कुछ पल मौन ही रहा जा सकता है...ऐसी विलक्षण रचना पढ़वाने के लिए आपको कोटिश धन्यवाद...<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com