tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post5845904114095062178..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): पुरुषों के विरुद्ध एक अविश्वास प्रस्तावUnknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-38840068150171066212009-02-24T14:13:00.000+00:002009-02-24T14:13:00.000+00:00यह लेख हर स्त्रीवर्ग को पढ़ना चाहिए। पर कैसे? मैं अ...यह लेख हर स्त्रीवर्ग को पढ़ना चाहिए। पर कैसे? मैं अनुरोध करती हूँ कि यह अखबार के पृष्ठों पर बड़े अक्षरों में या फिर स्कूल की क़िताबों में छपना चाहिए।प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-50433310752636749602009-02-17T18:42:00.000+00:002009-02-17T18:42:00.000+00:00मेरे विचार से इस पैरा को ध्यान से पूरा पढ़ा जाना अन...मेरे विचार से इस पैरा को ध्यान से पूरा पढ़ा जाना अनिवार्य है, जहाँ अविश्वास की नहीं, सावधानी की, और तिस पर भी प्रेम और मानवीय व्यवहार की बात की गई है - (कृपया देखें)<BR/><BR/>वैसे, जीवन के एक सामान्य सिद्धांत के तौर पर भी यह सही है। पुरुष पुरुष पर कितना विश्वास करते हैं? स्त्री स्त्री पर कितना विश्वास करती हैं? जहाँ आत्मीयता होती है, वहाँ भी लोग ठगे जाने से बचने की कोशिश करते हैं। यह सावधानी स्त्री-पुरुष व्यवहार में और ज्यादा अपेक्षित है, क्योंकि अब तक के इतिहास की सीख यही है। इसलिए माता-पिता और अभिभावकों का यह एक मूल कर्तव्य है कि वे लड़की को लड़की के रूप में विकसित होते समय ही उन फंदों और गड्ढों से अवगत कराते रहें जो आगे उसकी राह में आनेवाले हैं। इसके साथ ही, उसे निर्भय होने और स्व-रक्षा में सक्षमता की शिक्षा भी देनी चाहिए। लेकिन इस कीमत पर नहीं कि मानवता में ही उसका विश्वास डिग जाए। बहुत ही प्रेम और समझदारी से उसमें यह बोध पैदा करना होगा कि लोग सभी अच्छे होते हैं, पर हमेशा सचेत रहना चाहिए कि वे बुरे भी हो सकते हैं। लड़कियों को यह सीख भी दी जानी चाहिए कि यह बहुत गलत होगा अगर अति सावधानी के परिणामस्वरूप वे किसी पुरुष से आत्मीय रिश्ता बना ही न पाएँ। घृणा तो किसी से भी न करो – ज्ञात पापी से भी नहीं, सभी को प्रेम और विश्वास दो, पर अपनी सुरक्षा की कीमत पर नहीं। हर संबंध की तरह स्त्री-पुरुष संबंध भी एक जुआ है, लेकिन यह जुआ खेलने लायक है, क्योंकि इसी रास्ते हम अपने मनपसंद साथी खोज सकते हैं। इस प्रक्रिया में दुर्घटनाएँ होती हैं, तो होने दो। डरो नहीं, न परिताप करो। लेकिन आँख मूँद कर उस रास्ते पर कभी मत चलो जिसके बारे में तुम्हें पता नहीं कि उस पर आगे क्या-क्या बिछा और फेंका हुआ है। यह संतुलन साधना मामूली बात नहीं है, लेकिन अच्छा जीवन जी पाना भी क्या मामूली बात है?Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-89044807576465707122009-02-17T18:24:00.000+00:002009-02-17T18:24:00.000+00:00I have lived in India for 26 years and have spent ...I have lived in India for 26 years and have spent more than a decade outside of India.<BR/><BR/> I had many associations, with men of all ages, as relatives, teachers, and friends. I would like to say that most of these association were very respectful, encouraging and friendly, with a great desire, that I succeed as an Individual, and always a constant effort from all these men that I should not become a victim of the gender boundaries. <BR/><BR/>I can admit that, I did not get similar input from most women associates, partly becoz they do not have control over their own destiny and are devoid of the resources in present circumstances.<BR/><BR/>I disagree that women has to be always conscious of her gender identity, and should always be scared. Its not going to solve problem. The solution lies in everybody's participation to make a more humane society and build trust and respect towards each other.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-76453558166702933422009-02-17T13:38:00.000+00:002009-02-17T13:38:00.000+00:00बहुत ही सामयिक आलेख. विषय बहुत ही संतुलित तरीके से...बहुत ही सामयिक आलेख. विषय बहुत ही संतुलित तरीके से, लेकिन आवश्यक चेतावनी के साथ, प्रस्तुत किया गया है.<BR/><BR/>उम्मीद है कि राजकिशोर जी की कलम से निकली इस तरह की और "बैद्धिक" एवं "व्यावहारिक" अधिक रचनाओं का पान करने का अवसर मिलेगा.<BR/><BR/>सस्नेह -- शास्त्रीShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.com