tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post5866856762559307226..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): गालियाँ, चरित्रहनन, आत्मस्वीकृतियाँ : कलंक : मानसिकता व भाषा के बहाने स्त्रीविमर्शUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-11383644224705847342010-08-06T14:39:22.050+01:002010-08-06T14:39:22.050+01:00बहुत सार्थक लेख है....विचारणीय बात कही है...सच है ...बहुत सार्थक लेख है....विचारणीय बात कही है...सच है की सारी गलियां स्त्री से ही जुडी होती हैं भले ही वो किसी को भी दी जा रही हों ...मानसिकता कब बदलेगी..?संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-29454999787921059302010-08-06T10:13:40.959+01:002010-08-06T10:13:40.959+01:00एक बेहद संवेदनशील मुद्दा उठाया है आपने और जरूरी भी...एक बेहद संवेदनशील मुद्दा उठाया है आपने और जरूरी भी है और इसके लिये हम स्त्रियों को ही पहल करनी होगी बिना ये सोचे कि समाज क्या सोचता है तभी इसका परिदृश्य बदलेगा और स्त्रियों को उनका सम्मान मिलेगा।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-83585336187016011192010-08-05T21:39:31.039+01:002010-08-05T21:39:31.039+01:00इस बार आपके लिए कुछ विशेष है...आइये जानिये आज के च...इस बार आपके लिए कुछ विशेष है...आइये जानिये आज के चर्चा मंच पर ..<br /><br /><br />आप की रचना 06 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.<br />http://charchamanch.blogspot.com <br /><br />आभार <br /><br />अनामिकाअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-56007796457012195552010-08-04T18:00:37.972+01:002010-08-04T18:00:37.972+01:00स्त्री बनाम पुरुष सरोकारों की बहस को मानवीय और सा...स्त्री बनाम पुरुष सरोकारों की बहस को मानवीय और सामाजिक सरोकारों पर केंद्रित करने का सत्प्रयास इस प्रस्तुति को दस्तावेजी महत्व प्रदान करता है.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-67753208580431565652010-08-04T08:54:23.580+01:002010-08-04T08:54:23.580+01:00युद्ध में लक्ष्य दुश्मन का अपमान करना होता है , सा...युद्ध में लक्ष्य दुश्मन का अपमान करना होता है , सामने वाले के सबसे कमज़ोर पक्ष पर प्रहार किया जाता है चूंकि घर की स्त्रिया, दुश्मन के द्वारा रक्षित होती हैं और सीधे सीधे उसके सम्मान से जुडी होती हैं अतः अगर स्त्रियों को दासी बनाया जाए अथवा उनपर कब्ज़ा जमाया जाये ...तो युद्ध का लक्ष्य प्राप्त हो जाता था ! यही दुश्मन की सबसे बड़ी पराजय मानी जाती रही है ! <br />कट्टर दुश्मनी की परिणिति आज भी यहीं होती है और कष्ट इन निरपराधों को भुगतना पड़ता है ! <br />समय भले बदल जाये मगर न यह युद्ध बदलेंगे न या मानसिकता ! एक अच्छे लेख के लिए आपको शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-27075780023547085262010-08-04T08:29:26.146+01:002010-08-04T08:29:26.146+01:00विरोध व्यक्ति विरोध नहीं है.ये एक सोच के विरुद्ध व...विरोध व्यक्ति विरोध नहीं है.ये एक सोच के विरुद्ध विरोध है ....असहमतिया जताने के शालीन तरीके भी होते है ....ओर कुछ प्रबुद्ध विद्वानों से इसकी अपेक्षा ज्यादा होती है .जाहिर है झुग्गी झोपड़े वाले के स्तर ओर .पढ़े लिखे व्यक्ति के बीच कोई अंतर तो होगा ....पर वे ये प्रूव करते है के हम कागजो से अलग है जी ....इस मुद्दे पे दोनों ओर से जो भाषा इस्तेमाल हुई उससे हिंदी साहित्य का जो क्षति हुई है.....शायद उसकी भरपाई में वक़्त लग जाये....<br /><br /><br />कभी कभी सोचता हूँ उर्दू में जितना खुला लेखन इस्मत चुगताई ओर दूसरी मोहतरमायो ने किया है ...हिन्दीमे क्यों नहीं हो पाया .अब कारण पता चलता है ..लेखको के भीतर का पुरुष मरा नहीं है .......डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-11871030107566553652010-08-04T03:41:56.354+01:002010-08-04T03:41:56.354+01:00उस समाज का आप क्या कहिएगा जहां सभी गालियां स्त्रि...<b>उस समाज का आप क्या कहिएगा जहां सभी गालियां स्त्रियों को दी जाती हं और और आशीर्वाद पुरूषों को ...<br /></b><br />बहुत सही लिखा है आपने .. कोई भी जमाना आ जाए .. स्त्रियों की स्थिति वही रहेगी .. आंचल में है दूध और आंखों में पानी !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-1107227750911342882010-08-04T03:35:32.342+01:002010-08-04T03:35:32.342+01:00कविता जी,
चिंता का कोई विषय ही नहीं है। जब तक समा...कविता जी, <br />चिंता का कोई विषय ही नहीं है। जब तक समाज में स्त्रियों के साथ गैर बराबरी रहेगी, यह सब चलता रहेगा। गैर बराबरी के वजूद की वजह है निजि संपत्ति और उस के उत्तराधिकार का अधिकार। प्रकृति ने पुरुष को यह अधिकार नहीं दिया कि वह जाने की उस की संतान कौन है। आधुनिक साधन विकसित होने तक। इस के लिए वह स्त्री पर ही निर्भर रहा। अपनी इस स्त्री-निर्भरता को तोड़ने के लिए उस ने ऐसे समाज का निर्माण कर डाला जिस में स्त्री पूर्णतः उस के अधीन थी। इस पराधीनता को केवल व्यक्तिगत संपत्ति के अधिकार को नष्ट कर के समाप्त किया जा सकता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com