tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post7773067017582477482..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): प्रशस्तियाँUnknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-39347604946636917752009-05-21T17:42:19.221+01:002009-05-21T17:42:19.221+01:00अभिनव कविता
चर्म-मुद्रालंकार तो गजब है ऋषभ जी बधाई...अभिनव कविता<br />चर्म-मुद्रालंकार तो गजब है ऋषभ जी बधाई<br />कविता जी को इस प्रस्तुति के लिये साधुवादयोगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-67145578738177727922009-05-20T10:27:28.753+01:002009-05-20T10:27:28.753+01:00कुछ यर्थाथ, कुछ अतिरंजना भी लगती है।कुछ यर्थाथ, कुछ अतिरंजना भी लगती है।Astrologer Sidharthhttps://www.blogger.com/profile/04635473785714312107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-87366686476946371672009-05-20T06:56:41.347+01:002009-05-20T06:56:41.347+01:00बहुत कुछ ख़ास है इस कविता मेंबहुत कुछ ख़ास है इस कविता मेंdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-42213250288504240222009-05-19T16:29:00.000+01:002009-05-19T16:29:00.000+01:00इतनी सुंदर रचना पढ़ कर स्तब्ध हूँ कि क्या कहूँ?
ए...इतनी सुंदर रचना पढ़ कर स्तब्ध हूँ कि क्या कहूँ? <br />एक बहुत ही सुंदर, यथार्थ को अभिव्यक्त करती कविता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-47605229965485529922009-05-19T12:34:00.000+01:002009-05-19T12:34:00.000+01:00वाह !! अतिसुन्दर कविता !! आभार !!वाह !! अतिसुन्दर कविता !! आभार !!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-31899753481951736962009-05-19T05:52:00.000+01:002009-05-19T05:52:00.000+01:00http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2008/01/blog...http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2008/01/blog-post_14.html<br />कब तक मेरे नारीत्व को ही मेरी उपलब्धि माना जायगा ??<br /> <br />देश को आजाद हुए , होगये है वर्ष साठ<br />पर आज भी जब बात होती है बराबरी कि<br />तो मुझे आगे कर के कहा जाता है<br />लो ये पुरूस्कार तुम्हारा है<br />क्योंकी तुम नारी हो ,<br />महिला हो , प्रोत्साहन कि अधिकारी हो <br />देने वाले हम है , आगे तुम्हे बढाने वाले भी हम है<br />मजमा जब जुडेगा , फक्र से हम कह सकेगे<br />ये पुरूस्कार तो हमारा था<br />तुम नारी थी , अबला थी , इसलिये तुम दिया गया<br />फिर कुछ समय बाद , हमारी भाषा बदल जायेगी<br />हम ना सही , कोई हम जैसा ही कहेगा<br />नारियों को पुरूस्कार मिलता नहीं दिया जाता है<br />दिमाग मे बस एक ही प्रश्न आता <br />और<br />कब तक मेरे किये हुए कामो को मेरी उपलब्धि नहीं माना जाएगा ??<br />और <br />कब तक मेरे नारीत्व को ही मेरी उपलब्धि माना जायगा ??Rachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.com