tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post903764685344181794..comments2023-11-03T07:45:43.083+00:00Comments on Beyond The Second Sex (स्त्रीविमर्श): स्त्री की हैसियत ? भारतीय समाज में ?Unknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-46657871286162557192008-11-19T17:44:00.000+00:002008-11-19T17:44:00.000+00:00पहले लड़्की को पसंद करने से पहले परिवार को देखा जात...पहले लड़्की को पसंद करने से पहले परिवार को देखा जाता था, फिर परिवार की सम्पन्नता को देखा जाने लगा [कितना दहेज मिलेगा?] और अब लडकी की कमाई देखी जा रही है। अंततः पैमाना तो वही है- कितना धन मिलेगा!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-131688133944299430.post-75824285728429999102008-11-19T15:50:00.000+00:002008-11-19T15:50:00.000+00:00बेरोज़गारी बढ़ रही है, अगर नौकरी ही लड़कियों के लिए...बेरोज़गारी बढ़ रही है, अगर नौकरी ही लड़कियों के लिए एक<BR/>मात्र आशा है तो फ़िर काफ़ी सारी लड़कियों के लिए मुश्किल खड़ी हो जायेगी.<BR/>यह उम्मीद करना तो बेकार है की सशक्तिकरण नौकरी करने<BR/>से ही आ सकता है. अगर १०० प्रतिशत नौकरियां<BR/>भी महिलाओं को ही दे दी जायें तो भी इतनी बड़ी जनसंख्या में यह सम्भव नहीं की<BR/>देश की एक तिहाई लड़कियों को भी रोजगार मिल जाए.<BR/>सशक्तिकरण के एक हिस्से के रूप में यह सही है, पर<BR/>पूरा सशक्तिकरण इसे ही मान कर इसपर ही आश्रित रहा जाए तो<BR/>तो हम जाने अनजाने सिर्फ़ निर्बलिकरण की तरफ़ ही बढ़ेंगे .<BR/>जहाँ एक तरफ़ कामकाजी महिलाओं का सबल समूह होगा, और<BR/>एक तरफ़ आजीविकाहीन महिलाओं का निःशक्त वर्ग. <BR/><BR/><BR/>आपकी यह 'बड़ी नौकरी' वाली राह कुछ अव्यवहारिक है. कम से कम <BR/>अर्थव्यवस्था, आबादी के कारण मची कड़ी प्रतियोगिता और संसाधनों की कमी को देखते हुए. जो <BR/>नौकरी पा जाएँगी वे तो सबल पर जो रह जाएँगी वे.........?ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.com