शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008

एक डायन की सच्ची कहानी


क डायन की सच्ची कहानी

- ऋषभ देव शर्मा




आप चाहें तो इसे कहानी मान सकते हैं। लेकिन यह कहानी नहीं है. एक दम ज्वलंत घटना है, शर्मनाक समाचार है. लेकिन हम इसे फिलहाल कहानी की तरह ही सुनाते हैं.


बात है इकीसवी सदी की, सन २००८ के अक्टूबर महीने का पहला इतवार था। राजस्थान नाम का एक ऐतिहासिक भूखंड भारत भूमि पर हुआ करता था, वहां एक जिला था सिरोही, और उस जिले में था एक गाँव खरा नाम का.


हाँ तो इस गाँव खरा में रहती थी घरासिया नाम की एक जन-जाति, अब यह तो आपको मालूम ही हैं कि महान भारतीय लोकतंत्र में उस ज़माने में भी ऐसी जनजातियों की अपनी पंचायतें हुआ करती थीं, सो इस गाँव की भी पंचायत थी। और पंचायत पर कब्ज़ा था पुरुषों का- जो अपने आपको भाग्यविधाता से कम नहीं समझते।


तो हुआ यूँ कि इस गाँव में एक महीने के भीतर घरासिया लोगों के घरों में दो मौतें हो गयीं, अब मौत हुई, तो उसके कारण की तलाश शुरू हुई। ज़रूर इसके पीछे किसी डायन का हाथ होगा. खोज शुरू हुई उस डायन की और बत्तीस साल की गुजरिया पर डायन होने की तोहमत मढ़ दी गई. मीसा और पोटा से ज्यादा खतरनाक हुआ करती है पुरूष वर्चस्व प्रधान पंचायत की चार्जशीट. आरोपी के ख़िलाफ़ कोई सबूत पेश नहीं किए जाते, बस आरोप लगाया जाता है और चुनौती दी जाती है कि हिम्मत है तो ख़ुद को पाक-साफ़ साबित करके दिखाओ, लाचार गुजरिया कैसे स्वयं को निर्दोष सिद्ध करती, या तो सर झुककर अपराध को स्वीकार कर लेती- जैसा उसने नहीं किया. या फिर परीक्षा देती. परीक्षा भारतीय स्त्रियाँ युगों से देती आई हैं - पुरुषों की शर्त पर. गुजरिया को भी परीक्षा से गुजरना पड़ा.


वह इतवार गुजरिया के लिए काला इतवार था। एक पात्र में गरमागरम तेल भरा गया. इस उबलते तेल में चाँदी का सिक्का डाला गया. गुजरिया को नंगे हाथों से यह सिक्का निकालना था. अगर वह भली औरत होगी तो उसके हाथ जलेंगे नहीं. और अगर हाथ जल गए तो साबित हो जाएगा कि वह सचमुच डायन है. गुजरिया गुजरिया थी, कोई सीता माता नहीं कि उसके हाथ न जलते. वैसे कहा तो यह भी जाता है कि अग्निपरीक्षा छाया-सीता ने दी थी, असली सीता तो पहले से अग्निदेव के घर में सुरक्षित थीं. लीला में ऐसा होता है.पर गुजरिया पर जो गुज़री वह लीला नहीं थी. क्रूर सच्चाई थी.

आप समझ ही गए होंगे कि अग्नि परीक्षा में गुजरिया अनुतीर्ण हो गई॥ बस फिर क्या था घोषणा हो गई -- यह चुडैल है, डायन है, पिशाचिनी है, मारो इसे !!!

हर ओर से गुजरिया पर प्रहार किए गए। गरम लोहे की सलाखों से उसकी देह दागी गई. मारे सरियों के उसका सिर फूट गया. इस बहाने जाने किस किस ने उससे क्या क्या बदले चुका लिए !

डायन से अपेक्षा की जाती है कि वह त्रस्त परिवार को कष्टों से मुक्त कर दे। गुजरिया भला कैसे किसी को कष्टों से मुक्त कर पाती. इसलिए उसे मार पीट कर उसके घर के दरवाज़े पर फ़ेंक दिया गया.पति और घर के सभी सदस्य इतने आतंकित कि उसे घर के भीतर नहीं ला सके. अंततः बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया.

तो यह थी सन २००८ के उत्तरआधुनिक भारत की एक बर्बर दास्तान।

क्या इस कहानी का मोरल यही माना जाए कि भारत में आज भी अंध-विश्वास, अवैज्ञानिकता, अशिक्षा मूर्खता के साथ साथ स्त्री के प्रति सर्वथा अमानुषिक दृष्टिकोण विद्यमान है, और सारे सामजिक , राजनैतिक और बौद्धिक नेतृत्व ने इस सचाई की ओर से आँख मूंद रक्खी है? स्त्रियाँ यहाँ पहले भी डायन थी और आज भी डायन हैं!

इस वीभत्सता में भी सुख और संतोष का अनुभव करने वाला समाज क्या भीतर सड़-गल नहीं चुका है?


21 टिप्‍पणियां:

  1. काफी दुखद घटना है.....न जाने कब लोगों को अक्ल आयेगी। वैसे इस तरह की एकाध घटनायें ही सामने आ पाती है, अधिकतर तो दब जाती हैं या फिर दबा दी जाती हैं।

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  2. बहुत दुखद...अब जो भी मॉरेल हो मगर स्थितियाँ गहन विचार मांगती हैं.

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    उत्तर

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  3. सामाजिक शिक्षा के स्तर में न जाने कब बेहतरी प्राप्त करेंगे हम।

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  4. जल गई तो डायन- इस तरह के तर्क हमेशा से नारि‍यों का अहि‍त ही करते आए हैं। अग्‍नि‍परीक्षा में बेचारी को तो जलना ही था।

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  5. oh..
    मैं हूं औरत मेरी तो बस ये कथा
    पीर आंसू शोक शोषण औ व्यथा
    कभी लिखी गजल का मतअला याद हो आया

    दो पैग लगा कर बैडरूम में बीवी को पीटने वाले गलियाने वाले शहरों में कम हैं क्या..?
    कोई हंसता है कोई रोता है
    यहां रोज तमाशा होता है
    खैर...

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  6. दुखद है ....ओर पढ़कर ही रोंगटे खड़े हो जाते है जिस पर बीती होगी उसका ....इस देश को अभी शिक्षा ओर चेतना की बेहद जरुरत है....

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  7. Gr8 presentation!!

    Guess some homophobic with latent homosexual tendencies is behind this.

    What say you?

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  8. बड़ी दुःख की बात हैं आज भी लोग अंध विस्वास के पीछे आँख बंद कर दौड़ लगा रहे हैं

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  9. this is very bad. some should be done agains that persons and press to follow as agni pariksha and media should publish and these persons should be hangs so that in future no body can do so.

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  10. Rishab Devji
    'Yeh badi dukhd ghatna hai.
    You are welcome to visit my bog,"Unwarat.com"Please read my article Pyaaj ne rulaayaa jaar-jaar.
    Vinnie

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  11. जो हुआ बुरा हुआ ऐसे पिडीत महीलाओ के बारे मे सुनकर बहुत बुरा लगता है काश की लोग महीलाओ को समजे और अंध विश्वास दुर करे

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  12. गुडगाँव की 7 डरावनी और सच्ची भुतहा घटनाओं के मरे
    में जानें http://fundabook.com/7-horror-stories-from-gurgaon/

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