सोमवार, 29 अप्रैल 2013

"जब तक स्त्री मुक्त होना न चाहे तब तक वह मुक्त नहीं होगी"

15 टिप्पणियाँ


22 अप्रैल, 1930 को सुनाम (पंजाब) में जन्मीं रमणिका गुप्ता हिन्दी की आधुनिक महिला साहित्यकारों में प्रमुख नाम हैं। 

बिहार/झारखंड की पूर्व विधायक एवं विधान परिषद् की पूर्व सदस्या रह चुकीं रमणिका दी' कई गैर-सरकारी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्बद्ध तथा सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक कार्यक्रमों में सहभागिता कर चुकी हैं तथा आदिवासी और दलित महिलाओं-बच्चों के लिए कार्यरत हैं। कई देशों की यात्राएँ करने वाली रमणिका जी विभिन्न सम्मानों एवं पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं। इनकी रचनाओं में प्रमुख हैं, कविता संग्रह - पातियाँ प्रेम की, भीड़ सतर में चलने लगी है, तुम कौन, तिल-तिल नूतन, मैं आजाद हुई हूँ, अब मूरख नहीं बनेंगे हम, भला मैं कैसे मरती, आदिम से आदमी तक, विज्ञापन बनता कवि, कैसे करोगे बंटवारा इतिहास का, प्रकृति युद्धरत है, पूर्वांचल : एक कविता-यात्रा, आम आदमी के लिए, खूँटे, अब और तब तथा गीत-अगीत। उपन्यास हैं - सीता, मौसी। कहानी-संग्रह है- बहू-जुठाई। आत्मकथा है - हादसे, साक्षात्कार संग्रह है - साक्षात्कार, स्त्री विमर्श विषयक कृतियाँ हैं, कलम और कुदाल के बहाने, दलित हस्तक्षेप, निज घरे परदेसी, साम्प्रदायिकता के बदलते चेहरे, तथा दलित चेतना विषयक कृतियाँ हैं - साहित्यिक और सामाजिक सरोकार, दक्षिण-वाम के कटघरे और दलित-साहित्य, असम नरसंहार एक रपट, राष्ट्रीय एकता, विघटन के बीज आदि। इनके अतिरिक्त अनेक संपादित कृतियाँ भी। 


संप्रति वर्ष 1985 से उनके सम्पादन में एक त्रैमासिक पत्रिका 'युद्धरत आम आदमी' शीर्षक से निकलती हैं। 

रमणिका जी के सम्पादन में इस समय एक अन्य बड़ी महत्वपूर्ण योजना पर कार्य चल रहा है; वह है सभी भारतीय भाषाओं की महिला कथाकारों की स्त्रीमुक्ति विषयक कहानियों के बृहद संकलन " हाशिये उलांघती स्त्री" के प्रकाशन का। यह संकलन इस वर्ष के अंत तक तैयार हो कर आ जाएगा। यह संकलन लगभग 22- 25 खंडों (वॉल्यूम्ज़) का होगा। इस से पूर्व इसी नाम से 2 वर्ष पूर्व भारतीय भाषाओं की कवयित्रियों की स्त्री विषयक कविताओं का बृहद संकलन इन्हीं के सम्पादन में आ ही चुका है। मेरे लिए यह हर्ष की बात है कि मैं भी इस प्रकाशन-योजना से जुड़ी हुई हूँ । 

रमणिका जी रमणिका फाऊंडेशन, दिल्ली की संस्थापक भी हैं और दिल्ली में रहते हुए अत्यंत सतर्कता से लेखन, सम्पादन, सामाजिक कार्यकर्ता व फाऊंडेशन से जुड़े कार्यों को सम्हालती देखती हैं, जो किसी के लिए भी प्रेरणादायक हैं। 

गत दिनों दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल ने उन का साक्षात्कार लिया। उसके प्रमुख अंश यहाँ देखें - 



Related Posts with Thumbnails