शुक्रवार, 17 जुलाई 2009

राधा क्या चाहे

6 टिप्पणियाँ
एकालाप




राधा क्या चाहे


''राधिके!''
''हूँ?''
''भला क्या तो है तेरे कान्हा में?''
''पता नहीं.''


''पौरुष?''
''होगा.
बहुतों में होता है.''


''सौंदर्य?''
''होगा.
पर वह भी बहुतों में है.''


''प्रभुता?''
''होने दो.
बहुतों में रही है.''


''फिर क्यों खिंची जाती है तू
बस उसी की ओर?''
''उसे मेरी परवाह है न!''




- ऋषभ देव शर्मा




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