शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

कम से कम एक दरवाज़ा

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कम से कम एक दरवाज़ा 
                - सुधा अरोड़ा 







चाहे नक्काशीदार एंटीक दरवाजा हो

या लकड़ी के चिरे हुए फट्टों से बना ,

उस पर ख़ूबसूरत हैंडल जड़ा हो

या लोहे का कुंडा !



वह दरवाज़ा ऐसे घर का हो

जहाँ माँ बाप की रजामंदी के बगैर

अपने प्रेमी के साथ भागी हुई बेटी से

माता पिता कह सकें --

'' जानते हैं, तुमने गलत फैसला लिया

फिर भी हमारी यही दुआ है

खुश रहो उसके साथ

जिसे तुमने वरा है !

यह मत भूलना

कभी यह फैसला भारी पड़े

और पाँव लौटने को मुड़ें

तो यह दरवाज़ा खुला है तुम्हारे लिए ! ''

बेटियों को जब सारी दिशाएँ

बंद नज़र आएँ

कम से कम एक दरवाज़ा

हमेशा खुला रहे उनके लिए !

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