बच्चियों के ख़तना के ख़िलाफ़ अपील
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने इराक़ के उत्तरी स्वायत्त इलाक़े कुर्दिस्तान में बच्चियों के ख़तना पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्थानीय सरकार से अपील की है.
संस्था ने एक रिपोर्ट में कहा है कि ये प्रथा इराक़ी कुर्दिस्तान में व्यापक है और इससे महिलाओं को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से काफ़ी नुक़सान झेलना पड़ता है.
बीबीसी संवाददाता जिम मोयर के अनुसार इराक़ में अन्य जगहों पर बच्चियों के ख़तना का चलन नहीं है लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि कुर्दिस्तान में ये प्रथा इतनी व्यापक क्यों है.
उनके अनुसार इस बारे में स्पष्ट आंकड़े तो नहीं है लेकिन हाल में हुए कई सर्वेक्षणों के अनुसार कुर्दिस्तान में ये कुछ इलाक़ों में 40 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक प्रचलित है.
स्वास्थ्य को ख़तरा
बच्चियों के स्वास्थ्य को ख़तरा इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ख़तना के अधिकतर मामलों में पाया जाता है कि ये अप्रशिक्षित लोगों द्वारा किया जाता है.
इस प्रक्रिया से पहले लड़कियों को ये भी पता नहीं होता कि क्या किया जाना है.
ह्यूमैन राइट्स वॉच के अनुसार इस ऑपरेशन का कोई स्वास्थ्य संबंधी लाभ या मक़सद नहीं है बल्कि इसके नकारात्मक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक असर हो सकते हैं.
इस प्रथा का हालाँकि इस्लाम से कोई लेनादेना नहीं है लेकिन कुर्दिस्तान के कुछ मौलवियों ने इसका स्वागत किया है क्योंकि उनका मानना है कि इस ख़तना से युवा होती लड़कियों और महिलाओं में यौनेच्छा मिट जाती है.
इसके बारे में कोई विस्तृत आंकड़े तो मौजूद नहीं हैं लेकिन हाल के कुछ सर्वेक्षणों से पता चलता है कि यह काफ़ी बड़े पैमाने पर मौजूद है.
ह्यूमैनराइट्स वॉच ने इस बारे में जो रिपोर्ट प्रकाशित की है उसे शीर्षक दिया है: "वे मुझे ले गए और कुछ नहीं बताया."
इससे पहले इस प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने की योजनाएँ तो बनी हैं लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला है.(बीबीसी)
चिंताजनक ---लोगों को इस के बारे में जागरूक करने की बहुत ज़रूरत है। बिना वजह यह सब होता जा रहा है।
जवाब देंहटाएंज्वलंत समस्या।
जवाब देंहटाएंयह तो मानवाधिकारों के विरुद्ध प्रथा है निसंदेह रोक लगनी चाहिए...
जवाब देंहटाएंखतना में आखिर करते क्या हैं? लड़कियों में बात कुछ हजम नहीं होती है? क्योंकि खतना का सम्बंध केवल पुरुषों से है तो अजीब सा ही प्रसंग है।
जवाब देंहटाएंAkhir kab tak log narak ki jindagi Dharm ke nam per jite rahenge.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी.... दी है आपने.... वैसे बोहरा एक कम्यूनिटी होती है मुस्लिम्स में.... उनके वहां भही यह प्रथा है.... और यह बोहरा कम्यूनिटी भारत में भी पाए जाते हैं..... और यह भी है कि यह कम्यूनिटी कुर्दिस्तान से ही भारत में आई है..... पर यहाँ भारत में इस कम्यूनिटी में ऐसा शोषण नहीं होता है.... शायद यह लोग अब भारतीय संस्कृति में रच बस गए हैं .....शायद इसीलिए..... बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट....
जवाब देंहटाएंमें इस प्रथा का कोई हिमायती नहीं हूँ. लेकिन जो करण दिया है की खतना अप्रशिचित लोगों द्वारा किया जाता है तोह यह बात मर्दों के खतने पे भी लागु होती है. खतरा दोनों को है. यह खतना मर्दों के खतने से अलग नहीं है और मर्द तोह अब मुसलमान क्या सरे विश्व में खासतौर से पश्चिमी समाज में बहुत लोग किया करते हैं और इसके फाएदे का गुणगान करते हैं. यह दोहरा माप दंड क्यों
जवाब देंहटाएंमुझे इस बारे में अधिक नहीं पता मगर अगर इसका सम्बन्ध अगर धार्मिक और उनकी आस्थाओं से नहीं जुदा तो निंदनीय है ! अगर धार्मिक समस्या है तो मुस्लिम समुदाय को आगे आना चाहिए !
जवाब देंहटाएंislam ke nam pr jo sb trh ke atyachar maf hain
जवाब देंहटाएंbat to asl un pdhe likhe muslman bhaiyon ki jo jan boojh kr dr ke mare virodh nhikrte hain aur is trh ke atyacharon ko shn krte rhte hain unhe is ke viroodh aavaj uthani chahiye
ved vyathit
इस क्रिया में भगांकुर ( क्लाइटोरिस) को काट दिया जाता है। नृशंस प्रथा है। पुरुष उच्छेदन के कथित फायदे भी विवादास्पद हैं। पुरुष उच्छेदन पर मेरी यह पोस्ट देखी जा सकती है।
जवाब देंहटाएंhttp://girijeshrao.blogspot.com/2010/05/circumcision.html
अफ्रीका के कुछ कबीलों में तो योनि के प्रवेशद्वार को ही सिल कर बहुत संकरा कर दिया जाता है ताकि यौनक्रिया अति पीड़ायुक्त हो जाय जिससे स्त्री की यौन क्रिया में रुचि ही समाप्त हो जाय।
ये सारी क्रियाएँ बन्द होनी चाहिए।
मैंने इस विषय में बहुत पहले पढ़ा था, पर मुझे ये नहीं मालूम था कि अब भी ये कुप्रथा चल रही है. किस सदी में जी रहे हैं ये लोग? इसे अवश्य ही बंद होना चाहिए.
जवाब देंहटाएंइस प्रकार की खबर हैरत में दालने वाली है। जरूरी है कि जिस समाज मे ऐसा किया जा रहा है उन्हे मानवाधिकार कानून के दायरे में लाया जाय। उन बच्चियों को शिक्षित किया जाय।धर्म की मौलिक मान्यताओ और धार्मिक नेताओ के विचारो मे बहुत अंतर होता है। उस समुदाय के प्रगतिशील लोग ही आगे बढकर आयेंगे तभी ऐसी कुप्रथाए बन्द हो सकती हैं।
जवाब देंहटाएंIs this female circumcision very different from the male counterpart? I guess there are many types of Genital Mutilation possible, so what are we talking about here??
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमेंने सुना था कि अरब आदि देशों में पानी के आभाव में पुरुषों का खतना किया जाता था उद्देश्य स्वच्छता से ही रहा होगा. लेकिन प्रथम बार ऐसा पढ़ने में आ रहा है कि महिलाओं का भी इसी प्रथा का प्रचालन है इसका निषेध होना चाहिए यह अमानवीयता व बरबतापूर्ण निंदनीय कार्य है मुस्लिम समाज को आगे आकर पैरवी करनी चाहिए जिससे यह कृत्य बंद होवे
जवाब देंहटाएंi have read about it but it is now a days carry on, really vary shamefull for all of us and our society
जवाब देंहटाएंthere is no relation in this custom with islam. it is shamefull and should be condemned
जवाब देंहटाएंwww.anwarsuhel.blogspot.com
ज्यां सासन की किताब 'प्रिंसेस' इसी मसले पर केन्द्रित है. यह प्रथा केवल इराक ही नहीं, सऊदी अरब के कई हिस्सों में भी है. यह किताब भी एक राजकुमारी के जीवन पर आधारित है, जिसे इस यंत्रणा से गुज़रना पड़ा. इसमें दिए गए तथ्यों पर भरोसा करें तो वहां अधिकतर लड़कियों को अभी भी यह पीड़ा झेलनी पड़ती है.
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