21 साल तक की 800 लड़कियों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि लड़कियों में अति चंचलता वयस्क होने पर उनकी नौकरी की ख़राब संभावनाएं, ग़लत संबंध और कम उम्र के गर्भधारण का कारण बन सकती है.
इससे पहले किए गया एक शोध बचपन में लड़कों की अति चंचलता पर केंद्रित था जिसमें पाया गया था कि लड़कों में अति चंचलता को ज़्यादा आसानी से पहचाना और इलाज किया जा सकता है.
कना़डा और इंग्लैंड के यह शोध 'जनरल साइकाइट्री' पत्रिका में छपे हैं।
लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों में अति चंचलता हालांकि बहुत कम पाई जाती है लेकिन जिन लड़कियों में यह पाई जाती है, उनमें बाद में अनेक समस्याएं पैदा होने की आशंका होती है
शोधार्थियों का मानना है कि ऐसी अतिचंचल लड़कियों के अभिभावकों को स्कूलों में उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए शुरूआत से ही उनके सक्रियता स्तर को पहचान कर उन्हें मदद देनी चाहिए.
छह से 21 साल तक की लड़कियों पर केंद्रित इस अध्ययन में ऊपर-नीचे कूदने, आराम से एकटक न बैठने और बेचैनी के लक्षणों को जाँचा।
आक्रामकता
शोधार्थियों ने इनमें शारीरिक आक्रामक व्यवहार के स्तर को भी परखा जैसे लड़ना-झगड़ना, मारपीट करना, उठापटक करना, काटना इत्यादि.
हर दस में से एक लड़की में अति चंचलता का उच्च स्तर पाया गया जबकि दूसरी दस लड़कियों में अति चंचलता के उच्च स्तर के साथ शारीरिक रूप से आक्रामक व्यवहार भी पाया गया.
इस अध्ययन के अनुसार सबसे ज़्यादा चंचल या आक्रामक लड़कियों को दोगुने से भी ज़्यादा धूम्रपान की लत का शिकार होने और अनुचित संबंधों में लिप्त होने के आसार दोगुने से भी ज़्यादा हो सकते हैं और स्कूल में इनका प्रदर्शन चार गुना ख़राब हो सकता है.
जबकि अति चंचल और आक्रामक दोनों व्यवहारों वाली लड़कियों में बाद में कम उम्र में गर्भधारण की समस्या के अलावा अपने साथी के लिए शारीरिक और मानसिक आक्रामकता भी देखी गई.
स्कूल में अच्छे प्रदर्शन के लिए शुरूआत में ही लड़कियों के सक्रियता स्तर को पहचान कर मदद देनी चाहिए
एक चौथाई अति चंचल लड़कियों में बाद में कोई समस्या नहीं पाई गई.
यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन के शोधार्थी और इस अध्ययन के प्रमुख डॉ नेथली फ़ोंटेन ने कहा, "अब से पहले लड़कियों में अति चंचलता पर बहुत कम शोध हुए हैं।"
स्कूल में प्रदर्शन
उन्होंने कहा, "लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों में अति चंचलता हालांकि बहुत कम पाई जाती है लेकिन जिन लड़कियों में यह पाई जाती है, उनमें बाद में अनेक समस्याएं पैदा होने की आशंका होती है."
उन्होंने कहा कि यह बात नई नहीं है क्योंकि बहुत सी समस्याएं तो स्कूल में ख़राब प्रदर्शन से ही पैदा होती हैं.
उनके अनुसार, "इस क्षेत्र में और ज़्यादा शोध की ज़रूरत है ताकि ऐसी समस्याओं के बढ़ने के कारणों और बचाव के उपायों को समझा जा सके."
साउथ-वेस्ट लंदन में बाल और किशोर मनोविज्ञान के सलाहकार डॉ मोरिस वी कहते हैं कि ऐसे ही परिणाम अति चंचल लड़कों में भी देखे गए हैं.
उनके अनुसार, "अति चंचलता अधिकतर लड़कों में ही पाई जाती है और हम इसके कारणों के बारे में नहीं जानते."
उन्होंने कहा, "लड़कियों में ध्यान भंग होने के लक्षण ज़्यादा पाए जाते हैं इसलिए उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया जाता है क्योंकि वह बहुत परेशानियाँ पैदा नहीं करतीं"।
"लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों में अति चंचलता हालांकि बहुत कम पाई जाती है लेकिन जिन लड़कियों में यह पाई जाती है, उनमें बाद में अनेक समस्याएं पैदा होने की आशंका होती है".
-डॉक्टर नेथली फ़ोंटेन
बी.बी.सी.से साभार