मंगलवार, 5 मार्च 2013

बनाकर फ़कीरों का हम भेस गालिब.....

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'कथादेश' में प्रकाशित शालिनी माथुर के लेख "व्याधि पर कविता या ...." से प्रारम्भ हुए विमर्श पर शालिनी माथुर के गत लेख  "मृतात्माओं का जुलूस" के क्रम में इसे पढ़ने से पूर्व कृपया पिछला लेख  यहाँ  देखें, उसी क्रम की एक कड़ी के रूप में इस बार पढ़ा जाए सुनील सिंह के - बनाकर फकीरों का हम भेस गालिब 


नीचे दिए पन्नों पर क्लिक करने से वे बड़े आकार में खुलेंगे। खुलने पर वहाँ एक सूक्ष्मदर्शी ( 'मैग्नीफाईंग ग्लास ) पर + का चिह्न आएगा, जिसे क्लिक करने से शब्दों का आकार और भी बढ़ा कर पढ़ सकते हैं।

- सुनील सिंह 









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