मुझे पंख दोगे ?
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मैंने किताबें माँगी
मुझे चूल्हा मिला ,
मैंने दोस्त माँगा
मुझे दूल्हा मिला.
मुझे चूल्हा मिला ,
मैंने दोस्त माँगा
मुझे दूल्हा मिला.
मैंने सपने माँगे
मुझे प्रतिबंध मिले ,
मैंने संबंध माँगे
मुझे अनुबंध मिले.
मुझे प्रतिबंध मिले ,
मैंने संबंध माँगे
मुझे अनुबंध मिले.
कल मैंने धरती माँगी थी
मुझे समाधि मिली थी,
आज मैं आकाश माँगती हूँ
मुझे पंख दोगे ?
मुझे समाधि मिली थी,
आज मैं आकाश माँगती हूँ
मुझे पंख दोगे ?
० ऋषभ देव शर्मा
Nihshabd kar diya aapne.......
जवाब देंहटाएंkya kahun......ekdam sateek .
आज की नारी को समाधि नहीं आकाश और पंख तो मिलेंगे ही क्योंकि समाज और नारी - दोनों में जागृति और बदलाव आया है। अच्छी कविता के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण शब्द संयोजन एवं तुलनात्मक शैली के माध्यम से कविता का उद्देश्यपूर्ण अंत निस्संदेह सराहनीय है. कविता जी ..
जवाब देंहटाएं-विजय
bahut sundar.bhavpravan kavita hai.badhai
जवाब देंहटाएंऐसी सुंदर कविता के लिए आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है....बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंwakai bahut saty Aur sundar rachna .
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