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महिला आरक्षण विधेयक वापस हो: मुलायम
Jun 18, 06:05 pm
लखनऊ। संसद एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने के उद्देश्य से राज्यसभा में पेश विधेयक को लोकतंत्र के लिए खतरनाक करार देते हुए समाजवादी पार्टी [सपा] मुखिया मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को इसे अविलंब वापस लेने की मांग की।
मुलायम ने दावा किया कि राष्ट्रीय जनता दल [राजद] अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, जनता दल [यू] अध्यक्ष शरद यादव और शिवसेना भी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। लोगों को इस साजिश के बारे में जागरूक करने के लिए नई दिल्ली तथा देश के अन्य हिस्सों में संयुक्त रैली आयोजित करने के लिए हम जल्द ही उनसे संपर्क करेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आगामी लोकसभा चुनावों के ऐन पहले महिला आरक्षण लागू करने की साजिश रच रही है। यह कदम अगर राजनीतिक सहमति के बिना उठाया गया तो अलोकतांत्रिक होगा। केंद्र सरकार से इस विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि सपा राजनीतिक पार्टियों के माध्यम से महिलाओं को 15 प्रतिशत आरक्षण देने की पक्षधर है। इसमें से 10 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं के लिए सुरक्षित की जानी चाहिए और बारी-बारी से आरक्षण की व्यवस्था को खत्म किया जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी राजनीतिक दलों को पहले यह आश्वासन दिया है कि यह विधेयक उनकी सहमति से ही संसद में पेश तथा पारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब उन्हें पिछले दरवाजे से इस विधेयक को संसद में पेश करने की क्या जल्दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सराहना करते हुए मुलायम ने कहा कि उन्होंने अपनी बात रखी और राजनीतिक दलों में आम सहमति नहीं होने पर महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश नहीं किया।
उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया तो कल यह आरक्षण बढ़कर 55 प्रतिशत हो जाएगा जो अन्य वर्र्गो विशेषकर पुरुषों के साथ अन्याय होगा। मुलायम ने आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था का भी पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि इससे आम आदमी और जनप्रतिनिधियों के संबंध खत्म हो जाएंगे। पंचायत और स्थानीय निकायों में लागू की गई महिला आरक्षण व्यवस्था की खामियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब भी प्रधान पति, प्रमुख पति, परिषद पति और जिला पंचायत अध्यक्ष पति बैठकें आयोजित कर रहे हैं और गैरकानूनी ढंग से रोजमर्रा के कामकाज में हिस्सा ले रहे हैं।
यादव ने कहा कि महिला आरक्षण का विरोध कर रहे रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत अन्य नेताओं से जल्द ही मुलाकात करके वह इस मुद्दे पर केंद्र के खिलाफ एक रैली आयोजित करने के लिए वह उनसे सहयोग मांगेंगे। यह पूछने पर कि क्या आगामी लोकसभा चुनाव में वह महिलाओं को 15 फीसदी आरक्षण देने के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा कि महिला नेताओं की काफी कमी है और लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने के लिए महिला उम्मीदवारों की संख्या काफी कम है।
साथ ही मुलायम ने कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के लोकसभा चुनावों से पहले तालमेल की अटकलों को भी विराम दे दिया। मुलायम ने कहा कि वह कांग्रेस से कोई समझौता नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कम से कम उत्तर प्रदेश में सपा कांग्रेस से बड़ी पार्टी है। हम उससे हाथ कैसे मिला सकते हैं। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करने के इरादे से कही मेरी बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है जिससे मीडिया में सपा और कांग्रेस की नजदीकियों की अटकलों को हवा मिलती है।
मुलायम ने लोकसभा चुनावों के बाद किसी गठबंधन आदि के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया। उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस और सपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच संभावित तालमेल के लिए उच्चस्तरीय बैठक आयोजित होने की खबरों को भी निराधार बताया। उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी उम्मीदवारों का फैसला केंद्रीय संसदीय बोर्ड करेगा और इसमें पार्टी के किसी अन्य संगठन का कोई दखल नहीं होगा।
('जागरण' से साभार)
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मुलायम सिंघ तो सदा से स्त्री आराकाहन के विरोधी रहे ही हैं.
जवाब देंहटाएंउनके लोगों ने ही अगदी-पिछडी औरतों के बत्वारें की बात उठाई थी, यह सब राम विलास जी के ही भाई भतीजे हैं, जिन्हें जागरूक महिलाओं को संसद में परकटी कहने का महँ गौरव प्राप्त हैं.
यह ठीक है की कांग्रेस अपना चुनावी फायेदा देख रही हैं पर यह ज़रूरी तो नही के देश bhar की औरतें इस बात पर भावुक हो कर अपने वोट कांग्रेस पर निछावर कर ही दे. देखें ये अवसरवादी लोग स्त्रिओं को अवसर आख़िर कब तक नहीं देंगे.
सही कहा आप ने.
जवाब देंहटाएंआभार