बुधवार, 10 सितंबर 2008

गुजारा भत्ता के लिए शादी जरूरी नहीं


राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि कोई औरत शादी किए बिना अगर किसी मर्द के साथ रहती है, उसे यदि मर्द छोड़ देता है तो औरत को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए। महिला और बाल विकास मंत्रालय को भेजी गई अपनी सिफारिश में आयोग ने कहा कि कानून की धारा 125 के तहज दर्ज `पत्नी' की परिभाषा बदलने की जरूरत है। यह धारा गुजारा भत्ते के बारे में है।


घरेलू-हिंसा कानून में कानूनी तौर पर शादीशुदा और बिना शादी साथ-साथ रहने वालों को बराबर समझा गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग धारा 125 में एक और बदलाव चाहता है। उसका कहना है कि यदि किसी महिला के संबंध पुरुष से जुड़ जाते हैं और पति उससे रिश्ता तोड़ लेता है, तब भी उसे गुजारा भत्ता मिलना चाहिए। आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास के मुताबिक तलाक के 70 फीसदी मामलों में यह देखा गया है कि औरत को कसूरवार ठहराने के लिए उस पर दूसरे पुरुष संबंधों का आरोप लगाया जाता है।


धारा 125 में पत्नी, बच्चे, माता-पिता के लिए गुजारा भत्ते की व्यवस्था है। यह भी कहा गया है कि वही औरत गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है जो पत्नी है, उसने तलाक दिया है या उसे तलाक दे दिया गया था फिर पति-पत्नी कानूनी तौर पर अलग हुए हैं और महिला ने दोबारा शादी नहीं की है। ऐसा भी अवसर होता है कि पुरुष औरत से झूठ बोलता है कि वह कुँआरा है, तलाकशुदा है या विधुर है और फिर, हिंदू विवाह कानून या अपने धर्म/जाति के नियमों का फायदा उठा कर बच जाता है।


- मिलाप




1 टिप्पणी:

  1. यदि धारा १२५ दफा फौजदारी में संशोधन न भी हो तो भी इस समय कानून में ऐसी महिला को घरेलू हिंसा अधिनियम में गुजारा भत्ता मिल सकता है। इस बारे में मैंने अपनी चिट्ठी अपने देश में Patrimony - घरेलू हिंसा अधिनियमः आज की दुर्गा में जिक्र किया है।

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