पहली भोर
बरस भर वह
उगलता रहा मेरे मुँह पर
दिन भर का तनाव
हर शाम !
आज
नए बरस की पहली भोर
मैंने दे मारा
पूरा भरा पीकदान
उसके माथे पर !!
कैसा लाल - लाल उजाला
फ़ैल गया सब ओर !!!
बरस भर वह
उगलता रहा मेरे मुँह पर
दिन भर का तनाव
हर शाम !
आज
नए बरस की पहली भोर
मैंने दे मारा
पूरा भरा पीकदान
उसके माथे पर !!
कैसा लाल - लाल उजाला
फ़ैल गया सब ओर !!!
- ऋषभ देव शर्मा
नया साल मंगलमय हो |
जवाब देंहटाएंहे प्रभु यह तेरापथ के परिवार कि ओर से नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये।
जवाब देंहटाएंकल जहॉ थे वहॉ से कुछ आगे बढे,
अतीत को ही नही भविष्य को भी पढे,
गढा हैहमारे धर्म गुरुओ ने सुनहरा इतिहास ,
आओ हम उससे आगे का इतिहास गढे।
कविता बहुत अच्छी लगी |
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