कम से कम एक दरवाज़ा
चाहे नक्काशीदार एंटीक दरवाजा हो
या लकड़ी के चिरे हुए फट्टों से बना ,
उस पर ख़ूबसूरत हैंडल जड़ा हो
या लोहे का कुंडा !
वह दरवाज़ा ऐसे घर का हो
जहाँ माँ बाप की रजामंदी के बगैर
अपने प्रेमी के साथ भागी हुई बेटी से
माता पिता कह सकें --
'' जानते हैं, तुमने गलत फैसला लिया
फिर भी हमारी यही दुआ है
खुश रहो उसके साथ
जिसे तुमने वरा है !
यह मत भूलना
कभी यह फैसला भारी पड़े
और पाँव लौटने को मुड़ें
तो यह दरवाज़ा खुला है तुम्हारे लिए ! ''
बेटियों को जब सारी दिशाएँ
बंद नज़र आएँ
कम से कम एक दरवाज़ा
हमेशा खुला रहे उनके लिए !
बहुत ही प्रेरणादायी.. जहाँ ओनर कीलिंग के मामले बड रहे हैं ... लोगों को कुछ अच्छा सिखायेगी ये कविता
जवाब देंहटाएंFrom: mouli pershad
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए सदा मां-बाप का दरवाज़ा खुला होता है भले ही बच्चे अपना दरवाज़ा कभी बंद कर लें :(
चंद्र मौलेश्वर
From: deepti gupta
जवाब देंहटाएंबहुत खूब मौली दादा !
सादर,
दीप्ति
From: ajit gupta
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
smt. ajit gupta
सुरेन्द्र नाथ तिवारी जी ने ईमेल से लिखा -
जवाब देंहटाएंSundar! Sudha Arora ji, bahut sundar....
Surendra Nath Tiwari
ऋषभदेव जी ने ईमेल से लिखा -
जवाब देंहटाएंसच ही खरी बात कही कवयित्री ने.
अभिनंदन.
सादर
ऋषभदेव शर्मा
प्राण शर्मा जी ने लिखा -
जवाब देंहटाएंलोकप्रिय लेखिका सुधा अरोरा की लेखनी का मैं प्रशंसक
हूँ .
उनकी कविता पढ़ कर मेरी ऑंखें नम हो गयी हैं .
प्राण शर्मा
सच कहा आपने किसी भी इंसान के सभी निर्णय सही हों ऐसा नहीं होता... तो बच्चों के लिए भी डेड एंड तो नहीं होना चाहिए
जवाब देंहटाएंRenu Yadav द्वारा ईमेल से भेजा संदेश -
जवाब देंहटाएंस्त्रीसचमुच ऑनर किलिंग हमारे समाज का सबसे बड़ा कोढ़ है। मैंने अपनी आँखों से इस कोढ़ को देखा है, जिसके लिए कोई भी दवा काम नहीं आती। बहुत जरूरी है इसके खिलाफ आवाज उठाना...
- रेणु यादव
बहुत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति ..प्रेरक आव्हान ..कितना दुखद है ..नवरात्रों में कन्या के पैर पूजा...और वास्तविक जीवन में कन्याओं के डेड एंड पर जाने कि दुश्चिंता ....
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