प्रशस्तियाँ
मैंने जब भी कुछ पाया
मर खप कर पाया
खट खट कर पाया
अग्नि की धार पर गुज़र कर पाया
पाने की खुशी
लेकिन कभी नहीं पाई
खुशी से पहले हर बार
सुनाई देती रहीं मेरी प्रशस्ति में
दुर्मुखों की फुसफुसाहटें
धोबियों की गालियाँ
और मन्थराओं की बोलियाँ
शिक्षा हो या व्यवसाय
प्रसिद्धि हो या पुरस्कार
हर बार उन्होंने यही कहा -
चर्म-मुद्रा चल गई!
[चर्म-चर्वण से परे वे कभी गए ही नहीं!]
मैंने हर दौड़ में उन्हें पीछे छोड़ा
हर मैदान में पछाड़ा,
उन्होंने मेरा पीछा नहीं छोड़ा
मैं कच्चे सूत पर चलकर भर लाई घड़ों पानी
वे किनारे पर ही ऊभ-चूभ हैं!!
O
मैंने जब भी कुछ पाया
मर खप कर पाया
खट खट कर पाया
अग्नि की धार पर गुज़र कर पाया
पाने की खुशी
लेकिन कभी नहीं पाई
खुशी से पहले हर बार
सुनाई देती रहीं मेरी प्रशस्ति में
दुर्मुखों की फुसफुसाहटें
धोबियों की गालियाँ
और मन्थराओं की बोलियाँ
शिक्षा हो या व्यवसाय
प्रसिद्धि हो या पुरस्कार
हर बार उन्होंने यही कहा -
चर्म-मुद्रा चल गई!
[चर्म-चर्वण से परे वे कभी गए ही नहीं!]
मैंने हर दौड़ में उन्हें पीछे छोड़ा
हर मैदान में पछाड़ा,
उन्होंने मेरा पीछा नहीं छोड़ा
मैं कच्चे सूत पर चलकर भर लाई घड़ों पानी
वे किनारे पर ही ऊभ-चूभ हैं!!
O
>>> ऋषभ देव शर्मा
http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2008/01/blog-post_14.html
जवाब देंहटाएंकब तक मेरे नारीत्व को ही मेरी उपलब्धि माना जायगा ??
देश को आजाद हुए , होगये है वर्ष साठ
पर आज भी जब बात होती है बराबरी कि
तो मुझे आगे कर के कहा जाता है
लो ये पुरूस्कार तुम्हारा है
क्योंकी तुम नारी हो ,
महिला हो , प्रोत्साहन कि अधिकारी हो
देने वाले हम है , आगे तुम्हे बढाने वाले भी हम है
मजमा जब जुडेगा , फक्र से हम कह सकेगे
ये पुरूस्कार तो हमारा था
तुम नारी थी , अबला थी , इसलिये तुम दिया गया
फिर कुछ समय बाद , हमारी भाषा बदल जायेगी
हम ना सही , कोई हम जैसा ही कहेगा
नारियों को पुरूस्कार मिलता नहीं दिया जाता है
दिमाग मे बस एक ही प्रश्न आता
और
कब तक मेरे किये हुए कामो को मेरी उपलब्धि नहीं माना जाएगा ??
और
कब तक मेरे नारीत्व को ही मेरी उपलब्धि माना जायगा ??
वाह !! अतिसुन्दर कविता !! आभार !!
जवाब देंहटाएंइतनी सुंदर रचना पढ़ कर स्तब्ध हूँ कि क्या कहूँ?
जवाब देंहटाएंएक बहुत ही सुंदर, यथार्थ को अभिव्यक्त करती कविता है।
बहुत कुछ ख़ास है इस कविता में
जवाब देंहटाएंकुछ यर्थाथ, कुछ अतिरंजना भी लगती है।
जवाब देंहटाएंअभिनव कविता
जवाब देंहटाएंचर्म-मुद्रालंकार तो गजब है ऋषभ जी बधाई
कविता जी को इस प्रस्तुति के लिये साधुवाद