महिलाओं के विरुद्ध जिन यौन-अपराधों को कई ज्ञात-अज्ञात कारणों/दबावों के कारण कहीं दर्ज नहीं करवाया जाता/जा सकता, उन्हें घर बैठे दर्ज करवाने और सहायता लेने के लिए एक नई महत्वपूर्ण अ-सरकारी साईट -सेफ़-सिटी
इसे जब अपनी प्रोफाईल पर परिचर्चा के लिए डाला तो एक बहुत ही महत्वपूर्ण संवाद रूपाकार ले पाया जिसमें लगभग 175 लोगों ने भाग लिया। उसी परिचर्चा का अविकल पाठ स्त्रीविमर्शके पाठकों के लिए यहाँ प्रस्तुत है -
जहाँ स्त्री को जितना लपेट के लपेटे में रखा जाता है, वहाँ वहाँ प्रमाणित होता है कि उस सभ्यता-समाज के पुरुष अधिक चरित्रहीन, अविश्वसनीय और व्यभिचारी हैं ।
कथाकार उषा राजे सक्सेना की ईमेल से आई प्रतिक्रिया -
"डिफेंस मेकैनिज़्म है स्त्री की लपेट" पर अब मै एक लेख लिखना चाहती हूँ... लिखुँगी..समय मिलने पर. जैसा कि मैं सोचती हूँ.
मुश्किल मर्द की मानसिकता है वह अपनी लौलुपता को स्वीकार नहीं करना चाहता है.
स्त्री अपने एस्थेटिक सेन्स के लिए भी सजती है. हम स्मार्ट केवल दूसरों को दिखाने के लिए ही स्मार्ट नहीं रहते हमें खुद भी तो यह अच्छा लगता है. सजना सँवरना स्वांत: सुखाय भी होता है.
उपरोक्त सोच में हमारी पूरी सामाजिकता ग्रसित है शामिल है.
Actly!Kavita G me aap se sahamt hu lekin ak bindu me jorna chaheta hu ki vrtaman me NAREE vrg tathakathit taur pr shikshit to ho rahi he but vo shiksha k mool uddyesya arthat 'samyak gyan' se ab bhi lakhon kosh door he.Dhanyavad
Actly!Kavita G me aap se sahamt hu lekin ak bindu me jorna chaheta hu ki vrtaman me NAREE vrg tathakathit taur pr shikshit to ho rahi he but vo shiksha k mool uddyesya arthat 'samyak gyan' se ab bhi lakhon kosh door he.Dhanyavad
आपकी प्रतिक्रियाएँ मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं।अग्रिम आभार जैसे शब्द कहकर भी आपकी सदाशयता का मूल्यांकन नहीं कर सकती।आपकी इन प्रतिक्रियाओं की सार्थकता बनी रहे इसके लिए आवश्यक है कि संयतभाषा व शालीनता को न छोड़ें.
कथाकार उषा राजे सक्सेना की ईमेल से आई प्रतिक्रिया -
जवाब देंहटाएं"डिफेंस मेकैनिज़्म है स्त्री की लपेट" पर अब मै एक लेख लिखना चाहती हूँ... लिखुँगी..समय मिलने पर. जैसा कि मैं सोचती हूँ.
मुश्किल मर्द की मानसिकता है वह अपनी लौलुपता को स्वीकार नहीं करना चाहता है.
स्त्री अपने एस्थेटिक सेन्स के लिए भी सजती है. हम स्मार्ट केवल दूसरों को दिखाने के लिए ही स्मार्ट नहीं रहते हमें खुद भी तो यह अच्छा लगता है. सजना सँवरना स्वांत: सुखाय भी होता है.
उपरोक्त सोच में हमारी पूरी सामाजिकता ग्रसित है शामिल है.
samay aa gaya hai naari vrg apne purane kalevr ko tyagkr,naye ko dharan kare!
जवाब देंहटाएंActly!Kavita G me aap se sahamt hu lekin ak bindu me jorna chaheta hu ki vrtaman me NAREE vrg tathakathit taur pr shikshit to ho rahi he but vo shiksha k mool uddyesya arthat 'samyak gyan' se ab bhi lakhon kosh door he.Dhanyavad
जवाब देंहटाएंActly!Kavita G me aap se sahamt hu lekin ak bindu me jorna chaheta hu ki vrtaman me NAREE vrg tathakathit taur pr shikshit to ho rahi he but vo shiksha k mool uddyesya arthat 'samyak gyan' se ab bhi lakhon kosh door he.Dhanyavad
जवाब देंहटाएं